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AniroudhPratapSingh
बुधवार, 18 फ़रवरी 2009
दिल से .................दिल तक .........
तुम क्या जानो क्या होती है तन्हाई /
एक टूटे हुए पत्ते से पूछोक्या होती है जुदाई /
यू बेबफाई का इल्जाम न दे दोस्त /
इस बक्त से पूछ बक्त तेरी याद न आई //
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Ek din “JINDAGI” us mukam par pahoch jayegi,DOSTI ...
यादे .....................
पत्थर दिल ........की ..........सच्चाई..........
मोहब्बत .........का ...हस्र .........
दिल से .................दिल तक .........
एक डिजायनर की कल्पना
उनकी यादे
शक और प्यार दोनों एक दुसरे के दुसमन है
दुरिया और प्यार
मेरे बारे में
Anirudh Bhadouriya
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