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AniroudhPratapSingh
रविवार, 15 फ़रवरी 2009
शक और प्यार दोनों एक दुसरे के दुसमन है
जब हम करते थे उनसे बे तहासा मोहब्बत /
तब उनको मेरी मोहब्बत पर शक था /
जब उनको समज में आई मेरी मोहब्बत /
तब हमपर किसी और का hak था /
= आप का अनिरुद्ग प्रताप सिंह (दिल्ली )
1 टिप्पणी:
Anirudh Bhadouriya
29 अप्रैल 2009 को 4:15 am बजे
you are a very good righter..................
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Ek din “JINDAGI” us mukam par pahoch jayegi,DOSTI ...
यादे .....................
पत्थर दिल ........की ..........सच्चाई..........
मोहब्बत .........का ...हस्र .........
दिल से .................दिल तक .........
एक डिजायनर की कल्पना
उनकी यादे
शक और प्यार दोनों एक दुसरे के दुसमन है
दुरिया और प्यार
मेरे बारे में
Anirudh Bhadouriya
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you are a very good righter..................
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