रविवार, 15 फ़रवरी 2009

शक और प्यार दोनों एक दुसरे के दुसमन है

जब हम करते थे उनसे बे तहासा मोहब्बत /

तब उनको मेरी मोहब्बत पर शक था /

जब उनको समज में आई मेरी मोहब्बत /

तब हमपर किसी और का hak था /





= आप का अनिरुद्ग प्रताप सिंह (दिल्ली )

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